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सोमवार, 30 मई 2011

बाप रे बाप, 90 बच्चे - 17 बीवियां, कमाल है आप ....


संयुक्त परिवार की अवधारणा अब क्षीण होते जा रही है, बढती महंगाई के चलते लोगो को अब अपने दो बच्चो से भरा पूरा परिवार ही बड़ा और कष्ट दायक लगने लागा है ऐसे में किसी के परिवार में डेढ़ सौ से भी ज्यादा सदस्य हो तो उसे आप क्या कहना चाहेंगे ? जी हाँ संयुक्त अरब अमीरात के निवासी दाद मोहम्मद अल बलूशी के 17 बीवियों से 90 बच्चे और 50 पोते-पोतियां हैं। अगले दो दिन में उनकी शादी एक पाकिस्तानी लड़की से होने वाली है, उसके बाद भी अपने परिवार के विस्तार की उसकी इच्छा समाप्त नहीं हुई है, बलुशी की हार्दिक इच्छा है कि उनकी अगली बीवी भारतीय हो। बलूशी के अनुसार , ' एक ऐक्सिडेंट में हादसे की वजह से मेरी टांग टूट गई थी, जिसे बदलवाने के लिए मैं अगले महीने जयपुर रहा हूं। भारत के अपने इस दौरे में मैं उम्मीद करता हूं कि मुझे एक भारतीय बीवी मिल जाए। मेरी सारी बीवियां अनपढ़ हैं और मैं चाहता हूं कि मुझे एक ऐसी भारतीय लड़की मिल जाए, जो पढ़ी-लिखी हो और जिसकी उम्र 18-22 साल के बीच हो। '

भारतीय दुलहन क्यों चाहिए के बारे में बलुशी के अनुस्सर , ' आज दुनिया भर में भारतीयों को एक अलग दर्जा प्राप्त है। मेरे आसपास ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं, जो मुझसे शादी करना चाहती हैं, लेकिन उनके होंठ कुछ कहते हैं जबकि आंखें कुछ और कहती हैं। ऐसी बीवी लेकर मैं क्या करूंगा, मुझे एक भारतीय लड़की चाहिए क्योंकि भारतीय महिलाएं बहुत विनम्र और संस्कारों वाली होती हैं। '

शरीय कानून बलूशी को एक समय में चार बीवियां रखने की इजाजत देता है। यही कारण है कि हर बार नई शादी करने से पहले बलूशी को एक बीवी को तलाक देना पड़ता है। अभी उनकी तीन बीवियां हैं और अगले कुछ दिनों में उसका निकाह पाकिस्तानी की रूकसाना आरिफ से हो जाएगा। फिलहाल उनकी दो बीवियां प्रेगनेंट हैं और अगले महीने तक उनके घर दो नए मेहमान जाएंगे। इन दो बच्चों को मिलाकर बलूशी के कुल 92वें बच्चे हो जाएंगे।

रविवार, 29 मई 2011

पंचायतो से अविश्वास प्रस्ताव के अधिकार छिनना असवैधानिक - सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि निर्वाचित प्रतिनिधि कोहटाने के लिए 'अविश्वास प्रस्ताव की व्यवस्था लोकतांत्रिकप्रणाली का अभिन्न हिस्सा है और इसके साथ किसी प्रकारकी छेड़छाड़ असंवैधानिक होगी। न्यायालय का मानना है किकिसी सरपंच को पद से हटाने के लिए पंचायत सदस्यों कोअविश्वास प्रस्ताव पारित करने के अधिकार से वंचित करनाउचित नहीं होगा।

न्यायमूर्ति जी. एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति चंद्रमौलि कुमार प्रसाद की अवकाशकालीन खंडपीठ ने इस तरहकी तीखी टिप्पणी के साथ शुक्रवार को पंचायती राज कानून में संशोधन निरस्त करने के हाईकोर्ट के फैसले केखिलाफ पंजाब सरकार की याचिका खारिज कर दी। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछले महीने ही पंजाबपंचायती राज कानून संशोधन कानून को असंवैधानिक करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया था। न्यायाधीशों नेकहा कि सरपंच को पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का अधिकार निर्वाचित सदस्यों से लेकर इसेनौकरशाही को देने से पंचायती राज व्यवस्था में निरंकुशता व्याप्त हो जाएगी। इस तरह के किसी भी प्रावधानसे संविधान के अनुच्छेद 14 में प्रदत्त समता के अधिकार का हनन होता है। न्यायालय ने कहा कि अविश्वासप्रस्ताव का अधिकार नौकरशाहों के हाथ में देना उचित नहीं होगा, क्योंकि ऐसा करने से बेहद खतरनाकस्थिति पैदा हो सकती है।
पंजाब सरकार पंचायती राज कानून में संशोधन करके साथ ही इसे पिछले साल एक जुलाई से लागू करनाचाहती थी। प्रस्तावित संशोधन के तहत कम से कम दो साल तक किसी भी सरपंच को अविश्वास प्रस्ताव केमाध्यम से हटाया नहीं जा सकता था। इसके बाद यदि किसी सरपंच को हटाया भी जाता है तो इसके लिए खंडविकास अधिकारी या उसके समकक्ष अधिकारी के समक्ष आवेदन करना होगा।
इस संशोधन से पहले पंचायती राज कानून की धारा आठ के तहत किसी भी पंचायत के दो तिहाई सदस्यों द्वारासरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करने पर उसे पद से हटाया जा सकता था। लेकिन संशोधन केबाद पंचायत के सदस्यों को सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मंशा व्यक्त करते हुए खंड विकासअधिकारी के समक्ष एक अर्जी देनी होगी। न्यायाधीशों ने कहा कि इस प्रकार के संशोधन का मतलब तो यही हैकि भ्रष्टाचार के आरोपों में किसी सरपंच के लिप्त होने के बावजूद निर्वाचित सदस्य अविश्वास प्रस्ताव केमाध्यम से उसे हटा ही नहीं सकेंगे। इस तरह के प्रावधान को मंजूरी देने का मतलब लोकतांत्रिक व्यवस्था कीमूल भावना को ही खत्म करना है।

शुक्रवार, 13 मई 2011

फिर दागदार हुई वर्दी ....


दूसरो के हाथो में हथकडिया लगाने वाले हाथो में भी हथकड़ियाँ लग गई पैसे की भूख ने दूसरो को सलाखों के पीछे पहुचाने वाले उस शख्स को भी सलाखों के पीछे पंहुचा दिया पामगढ़ के थाना प्रभारी डी एल मिश्रा को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने पकड़ लिया लगरा की रहने वाली ललिता साहू की कुछ दिनों पहले जलने से मौत हो गई थी इस मामले को रफा दफा करने के लिए ललिता के ससुर खोलबहरा साहू से ५० हजार रूपये की मांग थानेदार ने की थी खोलबहरा साहू हजार रूपये पहले ही थानेदार को दे चूका था उसके बाद खोलबहरा ने मामले की शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो को की जहा से १० हजार रूपये लेकर जब खोलबहरा पामगढ़ थाने पंहुचा तो बरामदे में बैठे थानेदार ने नोट अपने कमरे में रखने की बात कही खोलबहरा के नोट थानेदार के कमरे के टेबल में रखते ही पहले से ही घात लगाकर बैठे ब्यूरो की टीम ने थानेदार को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया जहा से उसे जेल भेज दिया गया

सोमवार, 2 मई 2011

नहीं रहे लादेन


पूरी दुनिया में आतंक के पर्याय बने ओसामा बिन लादेन को आख़िरकार ओबामा की सेना ने मारने में सफलता प्राप्त कर ही ली अकेले व्यक्ति ने पुरे दशक तक दुनिया के सभी देशो को छकाकर रखा था, ओसामा ने केवल अमेरिका वरन पूरी दुनिया की नाक में दम कर दिया था ओसामा की मौत से अब जाकर अमेरिकियों ने चैन की साँस ली है क्योकि हमारे देश में तो हम आतंकी हमले के इतने अभ्यस्त हो गए है की किसी भी हमले के चंद घंटे बाद ही हमारी जीवन शैली सामान्य हो जाती है लेकिन अमेरिका में ओसामा के हमले के दशक बीत जाने के बाद भी लोगो के दिलो में ओसामा का खौफ छाया रहा ओसामा की मौत पाकिस्तान के शहरी इलाके में हुई है इस्लामाबाद से महज १५० किलोमीटर दूर एबटाबाद में ओसामा की मौत ने भारतीयों के इस आरोप की ही पुष्टि की है की पाकिस्तान आज भी आतंकियों को पनाह देता है